Saturday, October 13, 2018

Kona ka Dekhau aaha ke(Poem)

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कोना देखाऊ आहा के

मनमैं उठल ई एहसास कोना देखाऊ आहाके
दिलमे छुपल अहिक चेहरा कोना देखाऊ आहाके

हर पल , हर छण, तडपैत अइछ ई मन आहा बिन
मन मे उठल ई तड़प कोना देखाऊ आहा के

दिनमे फुलल वो फूल अहिक अभास दिलाबै य
मन मे फूलल अहिक लेल वो फूल कोना देखाऊ आहाके

राइतक निकलल चांद स चेहरा आहाके
मनमें अहिक लेल जागल वो प्यार कोना देखाऊ आहाके

मनमें अहिक लेल जागल वो प्यार कोना देखाऊ आहाके
कोना देखाऊ आहाके ।
लेखक:अभीशेक कुशवाहा






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